CPI  क्या है – उपभोक्ता मूल्य सूचकांक फॉर्मूला , भारत में CPI का रखरखाव कौन करता है?

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CPI  क्या है ,CPI kya hai, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक फॉर्मूला – दोस्तों आज हम जाने वाले हैं कि सीपीआई का रोल कितना बड़ा होता है किसी देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में व घटाने में , कुछ सालों से इंडिया की सीपीआई गिर रही है परंतु हाल ही में रिलीज हुए रिजल्ट के अनुसार इंडिया की सीपीआई में कुछ सुधार हुए हैं जिसके परिणाम हाल ही में दिखने भी लगे हैं

सीपीआई का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़े या ना पड़े पर इसका प्रभाव सबसे ज्यादा शेयर मार्केट पर पड़ता है क्योंकि सीपीआई से रेगुलेट होता है कि मार्केट ऊपर रहेगा या नीचे | हम इस आर्टिकल में धीरे-धीरे जानेंगे कि सीपीआई का प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था में शेयर मार्केट पर कैसे पड़ता है |

 चलिए शुरू करते हैं सीपीआई के बारे में इससे पहले आपका स्वागत है हमारी वेबसाइट Share Market Live पर इस आर्टिकल को बिल्कुल ध्यान से पढ़ें तभी आपके समझ में  आएगा की सीपीआई क्या है और यह किस प्रकार से शेयर मार्केट पर प्रभाव डालता है |

CPI  क्या है - CPI kya hai
CPI  क्या है – CPI kya hai

CPI  क्या है –  CPI kya hai 

सीपीआई क्या है –  सीपीआई को हिंदी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक कहते हैं सीपीआई उपभोक्ताओं द्वारा वस्तु का  उपभोग कितना किया गया अर्थात किसी व्यक्ति द्वारा  परिवहन ,चिकित्सा ,शिक्षा, खानपान आदि में किए गए खर्च वस्तुओं  परकिए गए खर्च को  ही सीपीआई कहते हैं इसे एक बाजार टोकरी भी कहा जाता है

सीपीआई सूचकांक देश की  मुद्रास्फीति को दर्शाती है अगर सीपीआई अधिक है तो मुद्रास्फीति   कम  होगी तथा सीपीआई कम होने पर मुद्रास्फीति ज्यादा होगी 

 जैसे कि आजकल का एक युवक जितना खर्चा कर देता है अपने ऊपर  आज से 10 साल पहले युवक उतना खर्च नहीं करते थे इसका मुख्य कारण है कि मुद्रास्फीति आजकल हर वस्तु की कीमत बढ़ चुकी है मुकाबले 10 साल पहले के | 

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक कैसे मदद करता है ? – How does the Consumer Price Index help

सीपीआई का अहम रोल मुद्रास्फीतिमें भी होता है आरबीआई बैंक तथा प्राइवेट कंपनियों द्वारा यह पता लगाया जाता है कि कि कौन कितना सामान खरीद रहा है तथा कौन सा सामान सबसे ज्यादा  बिक रहा है इसके लिए यह कंपनियां सर्वे भी करती है और डाटा इकट्ठा करती है

 इसी के आधार पर सभी वस्तुओं के दाम को तय किया जाता है कि कौन सी चीजें महंगी वह कौन सी वस्तुएं सस्ती होंगी सीपीआई से ही वेतन, पेंशन,   खरीदारी आदि तय होती है 

भारत में CPI का रखरखाव कौन करता है ? – Who maintains CPI in India

भारत में 4 उपभोक्ता सूचकांक संख्या है  जो निम्नलिखित है 

  • औद्योगिक श्रमिकों के लिए सीपीआई (IW)
  • कृषि मजदूरों के लिए सीपीआई (AL)
  • ग्रामीण मजदूरों के लिए सीपीआई (RL) और
  • शहरी गैर-मैनुअल कर्मचारियों के लिए सीपीआई (UNME).

इन चारों  सांख्यिकी में से शायरी गैर मैनुअल कर्मचारी डाटा इकट्ठा करती है  तथा बाकी 3 सांख्यिकी श्रम ब्यूरो  देखती है

CPI की कैलकुलेशन कैसे की जाती है ? – How is CPI calculated ?

सीपीआई की कैलकुलेशन  1 वर्ष के संदर्भ में की जाती है आपको जिस वर्ष की सीपीआई को तय करना है उस वर्ष की सीपीआई की टोकरी की कीमत याद रखें तथा पिछले वर्ष की टोकरी की कीमतों का  उसमें भाग  देकर 100 से गुणा कर दे इससे उस वर्ष की सीपीआई निकल जाएगी

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक फॉर्मूला – Consumer Price Index Formula

आप निम्नलिखित फार्मूला की सहायता से सीपीआई को निकाल सकते हैं

                                             CPI  = {CPIp/CPIv } *100

  • CPIp = टोकरी की लागत
  • CPIv =  पिछले वर्ष की टोकरी की लागत 

इन्हें भी पढ़ें – 

                                निष्कर्ष – CPI  क्या है

दोस्तों अपने इस आर्टिकल में पड़ा है कि सीपीआई क्या होता है वह सीपीआई का असर  किसी देश पर किस प्रकार पड़ता है  तथा सीपीआई का फार्मूला क्या है इत्यादि पढ़कर आपको कैसा लगा प्लीज कमेंट में बताएं

 इस वेबसाइट पर शेयर मार्केट से रिलेटेड और भी कंटेंट उपलब्ध है आप उनको भी पढ़ सकते हैं  तथा अपना ज्ञान शेयर मार्केट मैं बढ़ा सकते हैं इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल ( FAQs )

Q.1 CPI कौन जारी करता है?

Ans. सीपीआई को वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय(Ministry of Commerce and Industry)  के आर्थिक सलाहकारों द्वारा जारी किया जाता है

Q.2 CPI का अर्थ क्या है?

Ans. सीपीआई का हिंदी अर्थ  उपभोक्ता मूल्य सूचकांक होता है

Q.3 भारत में वर्तमान सीपीआई क्या है?

Ans. वर्तमान में भारत की सीपीआई नवंबर 2022 को 5.88% थी तथा बाद में दिसंबर 2022 में यह साल की सबसे निचले स्तर 5.72% पर आ गई

Q.4 सीपीआई कम होने पर क्या होता है?

Ans. सीपीआई कम होने पर मुद्रास्फीति ज्यादा होगी अर्थात महंगाई बढ़ जाएगी 


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