आज मे मुद्रास्फीति(inflation) का क्या अर्थ है, inflation क्यों बढ़ती है, inflation हम लोगो को कैसे प्रभाबित करती है और inflation का रेट कितना होना चाहिए इन सभी पॉइंट को कवर करेंगे इस आर्टिकल के जरिये तो चलिए आगे बिस्तर से बात करते है

मुद्रास्फीति(inflation) का क्या अर्थ है
Cow milk |
Petrol | Gold | |
---|---|---|---|
1947 | 0.12 | 0.27 | 88.62 |
1975 | 2.50 | 1.70 | 540 |
2020 | 48 | 71.26 | 47275 |
एक उदाहरण से समझते है, आप ऊपर टेबल के माध्यम से देख सकते हो 1947 मे 1 लिटर मिल्क का प्राइस था 0.12 पैसा। 1975 मे उसकी प्राइस 2.50 रूपया और 2020 मे प्राइस 48 रूपीस।
inflation क्यों बढ़ती है
- पहला कारण है इकनोमिक बूम होना यानि अच्छी इकनोमिक ग्रोथ होना जब इकनोमिक ग्रोथ अच्छी होगी तो लोगो के पास ज्यादा पैसा आएगा तो ऐसे मे जाहिर सी बात है लोग अलग अलग चीज़े खरीदेंगे यानि हार चीज़ की डिमांड बढ़ेगी
इकोनॉमी मे डिमांड बढ़ने ने के कारन जो भी कंपनी चीज़ो को बना रही है वो देखेंगे की अब चीज़ो की प्राइस बड़ा सकती है क्युकी उसको पता है लोगो के हात मे पैसा आने के कारन वो चीज़े खरीदेंगे और उसको प्रॉफिट अच्छी होगी। तो वो कंपनी प्राइस बड़ा देंगे और साथ मे इन्फ्लेशन यानि मुद्रास्फीति बढ़ जाएगी।
तो अब क्या होगा तो जो airline है वो अपनी फर्स्ट क्लास सीट की प्राइस और बड़ा देगी ताकि जिन लोगो के पास और ज्यादा पैसा है सिर्फ वही लोग फर्स्ट क्लास सीट इस्तेमाल कोर पाए। तो इससे Airplane की प्राइस मे inflation हो गयी। इस प्रकार इन्फ्लेशन को कहते है Demand-pull inflation
- दूसरा कारन है raw materials का प्राइस बढ़ना अलग अलग रीज़न के बजह से, जैसे की गेहू चावल महंगी हो गयी खराप मौसम के कारन, oil का प्राइस बढ़ गया, गवर्नमेंट ने नई टैक्स इम्पोसेड कोर दिया किसी raw materials पे जिससे उसकी प्राइस बढ़ गयी।
तो जो कंपनी प्रोडक्ट को बनाती है उस raw materials को इस्तेमाल करके तो उसको बनाना काफी मेहेंगा पड़ेगा तो ऐसे मे कंपनी को प्रॉफिट मे रहने के लिए उस प्रोडक्ट की प्राइस भी बढ़ाना होगा जिससे की इन्फ्लेशन बढ़ जायेगा। इस तरह इन्फ्लेशन को कहते है cost push inflation
- तीसरा कारण है सैलरी बढ़ना, जब कंपनी और गवर्नमेंट अपनी एम्प्लॉय की सैलरी बढ़ाती है तो उसको प्रॉफिट मे रहने के लिए अपनी प्रोडक्ट की प्राइस भी बढ़ाती है इसको कहते है wage push inflation
- चौथा कारण है currency depreciation इसमे सबसे महत्तपूर्ण कारण है गवर्नमेंट की तरफ से ज्यादा नोट्स को प्रिंट किये जाना जिससे currency अपनी वैल्यू loose करती है।
inflation हम लोगो को कैसे प्रभाबित करती है
लेकिन आपकी इनकम अगर इन्फ्लेशन को बीट नहीं कोर पाए तो आपके लिए चिंता की बात है। एक उदाहरण से समझ ते है अगर इन्फ्लेशन चल रहा है 6% और आपकी इनकम ग्रोथ सिर्फ 4% का है तो आप देख सकते हो आपकी इनकम ग्रोथ 2% कम हुआ है इन्फ्लेशन के मुकाबले।
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inflation का दर कितना होना चाहिए
बहुत सरे इकोनॉमिक्स का कहना है अगर 2-3% का इन्फ्लेशन प्रतिवर्ष चल रहा है तो एक अच्छी रेट है जिस मे इकॉनमी एक healthy रेट पे ग्रो भी कोर सकते है।
अगर मे भारत की बात कोरु तो भारत की इन्फ्लेशन रेट है 4%। ऊपर निचे 2% का मार्जिन है। अगर 2-6% के बीच मे इन्फ्लेशन रेट रहे तो अच्छा माना जाता है। इससे जो prices होता है वो स्टेबल रहता है और बेरोजगारी की लेवल भी कम से कम रहता है।
inflation को कण्ट्रोल कैसे किया जाता है
इन्फ्लेशन को कण्ट्रोल करने के लिए central bank का भूमिका सबसे एहम होता है, तो भारत की बात कोरे तो central bank RBI है। वो इन्फ्लेशन रेट को कण्ट्रोल करता है अपनी इंटरेस्ट रेट को बाड़के या तो कम करके।
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