
अगर Sensex दिन के अंत में हरे निशान पर बंद होता है तो यह मान लिया जाता है की BSE की सभी कंपनिया मार्किट को लेकर पॉजिटिव है और अगर Sensex लाल निशान पर बंद होता है तो यह मान लिया जाता है की BSE की सभी कम्पनिया मार्किट को लेकर नेगेटिव है। सिर्फ सेंसेक्स को देखकर यह बताया जा सकता है की मार्किट ऊपर है या नीचे है।
सेंसेक्स BSE का प्रमुख सूचकांक है
सेंसेक्स BSE (Bombay Stock Exchange) का सवेंदी सूचकांक है। सेंसेक्स की शुरुआत 1978 में हुई थी। सेंसेक्स का आधार वर्ष 1978 – 1979 है और आधार अंक 100 है। आसान भाषा में 1979 में सेंसेक्स की वैल्यू 100 थी जो की आज बढ़कर 35000 हो चुकी है। अगर किसी ने 1979 में 100 रुपये सेंसेक्स में निवेश किये होते तो आज वह बढ़कर 35000 रुपये से भी ज्यादा हो गये होते।
किसी भी स्टॉक एक्सचेंज पर हज़ारो कंपनिया लिस्ट होती है और कोई भी व्यक्ति या संस्था रोजाना हज़ारों कंपनियों को ट्रैक नहीं कर सकता है इसलिए उन हज़ारो कंपनियों को छोटे-छोटे ग्रुप में बाँट दिया जाता है इन कंपनियों को जिन्हें छोटे-छोटे ग्रुप्स में बांटा जाता है इन्हीं को ही Indices या Index कहते है।
Indices के कुछ Example इस प्रकार है जैसे Sensex में BSE की 30 सबसे क्वालिटी कंपनी का ग्रुप होता है। ठीक वैसे ही S&P BSE – 100 में 100 सबसे क्वालिटी कंपनी, S&P BSE 500 में 500 सबसे क्वालिटी कंपनी है। BSE के अंदर लगभग 5000 कंपनिया लिस्टेड है और इन सभी कंपनियों को 50 से भी ज्यादा Indices या Stock Market Index में बांटा गया है।(सेंसेक्स क्या है? What Is Sensex Meaning In Hindi)
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सेंसेक्स कैसे बनता है
Sensex 30 के लिए भी स्टॉक का चयन एक कमेटी करती है और ये कमेटी BSE बनाती है। सेंसेक्स के सभी 30 स्टॉक हमेशा फिक्स नहीं होते है बल्कि समय – समय पर बदलते रहते है। अगर किसी कंपनी के फंडामेंटल कमजोर हो जाते है तो उसे सेंसेक्स से बाहर कर दिया जाता है। और उसकी जगह पर कोई दूसरी क्वालिटी कंपनी को सेंसेक्स में शामिल कर लिया जाता है। सेंसेक्स में शामिल करने के लिए कंपनी का भारत में रजिस्टर्ड और BSE पर Actively Traded होना चाहिए।
कंपनी का Past Track Record अच्छा होना चाहिए। कंपनी में High Liquidity होनी चाहिए।(सेंसेक्स क्या होता है What Is Sensex In Hindi)
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सेंसेक्स के फायदे
स्टॉक मार्किट बहुत ही वोलेटाइल है सेंसेक्स के माध्यम से BSE पर लिस्टेड सभी शेयर की परफॉरमेंस के बारे में एक नजर में पता चल जाता हैं।
सेंसेक्स के जरिये देश की अर्थव्यस्था और शेयर बाजार में होने वाली तेजी और मंदी की सुचना आसानी से मिल जाती है जिससे बाजार में नया निवेश कब करना है और पुराना निवेश कब निकालना है उसके बारे निर्णय लिया जा सकता है।
सेंसेक्स के लगातार बढ़ते रहने से देश की अर्थव्यस्था मजबूत होती है। जिससे विदेशी निवेशक भी भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते है। और कंपनिया शेयर बाजार से ज्यादा पूंजी इक्कठी कर सकती है और उस पूंजी से अपने व्यापार को बढ़ा सकती है।(सेंसेक्स क्या है – Sensex Kya Hota Hai)
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सेंसेक्स और निफ़्टी में अंतर
भारत में NSE और BSE दो सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज है। स्टॉक एक्सचेंज वह जगह होती है जहाँ पर सभी कंपनिया लिस्टेड होती है, जो Buyer और Seller को मिलवाते है जिससे की वह शेयर को आपस में खरीद बेच सकें।
NSE और BSE दोनों के अपने अलग – अलग Indices (सूचकांक) है। निफ़्टी NSE का प्रमुख सूचकांक है और सेंसेक्स BSE का प्रमुख सूचकांक है। जो काम सेंसेक्स BSE के लिये करता है वही काम निफ़्टी NSE के लिये करता है, और दोनों के लिये Stocks चुनने के प्रक्रिया भी लगभग समान है। सेंसेक्स BSE पर लिस्टेड सभी कंपनियों की प्राइस मूवमेंट के बारे में बताता है और वही निफ़्टी NSE पर लिस्टेड सभी कंपनियों की प्राइस मूवमेंट को बताता है।
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